God exists | विज्ञान द्वारा सिद्ध हुआ ईश्वर | वैदिक रश्मि थ्योरी | वेद विज्ञान आलोक



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वैज्ञानिक अग्निव्रत नैष्ठिक जी ने वैदिक रश्मि थ्योरी देकर ईश्वर को वैज्ञानिक तरीके से सिद्ध किया है। इतना ही नहीं आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक जी ने अपनी पुस्तक "वेद-विज्ञान आलोक" में ब्रम्हांड कैसे बना ईश्वर के द्वारा, और ईश्वर कैसे चलाता है ब्रम्हांड को ये सब भी बताया है।

Full video - https://youtu.be/VyUtUakUxZs  (Vaidic physics ) 

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है। इस ग्रन्थ द्वारा आचार्य जी ने लगभग हजारों वर्षों से लुप्त वैदिक विज्ञान को खोज निकाला है जिससे आधुनिक वैज्ञानिक सिद्धान्तों की अनेकों समस्याओं का समाधान हो जाता है तथा गलत और काल्पनिक वैज्ञानिक सिद्धान्तों की निवृत्ति हो जाती है। इस ग्रन्थ से जहां महान वैज्ञानिक सिद्धान्त प्रस्फुटित होते हैं वहीं यह ग्रन्थ ईश्वर के वैज्ञानिक स्वरूप और उसकी सृष्टि निर्माण में कार्यशैली को जानने में भी अत्यन्त सहायक है अर्थात् यह ग्रन्थ भौत्तिकवेत्ताओं और अध्यात्मवेत्ताओं के लिए अत्यन्त उपयोगी है। जहां इस ग्रन्थ के भाष्य में सायण आदि भाष्यकारों ने इसे बूचड़खाना सा बना दिया था वहीं प्रस्तुत भाष्य के द्वारा आप जानेंगे –

1) Force, Time, Mass, Charge, Space, Energy, Gravity, Graviton, Dark Energy, Dark Matter, Mass, Vacuum Energy, Mediator Particles आदि का विस्तृत विज्ञान क्या है? इनका स्वरूप क्या है? सृष्टि प्रक्रिया में इनका योगदान है?
2) जिन्हें संसार मूल कण मानता है, उनके मूल कण न होने का कारण तथा इनके निर्माण की प्रक्रिया क्या है?
3) अनादि मूल पदार्थ से सृष्टि कैसे बनी? प्रारम्भ से लेकर तारों तक के बनने की विस्तृत प्रक्रिया क्या है? Big Bang Theory क्यों मिथ्या है? क्यों universe अनादि नहीं है, जबकि इसका मूल पदार्थ अनादि है?
4) वेद मन्त्र इस ब्रह्माण्ड में सर्वत्र व्याप्त विशेष प्रकार की तरंगों के रूप में ईश्वरीय रचना है। ये कैसे उत्पन्न होते हैं?
5) इस ब्रह्माण्ड़ में सर्वाधिक गतिशील पदार्थ कौनसा है?
6) गैलेक्सी और तारामंडलों के स्थायित्व का यथार्थ विज्ञान क्या है?
7) वैदिक पंचमहाभूतों का स्वरूप क्या है?
8) संसार में सर्वप्रथम भाषा व ज्ञान की उत्पत्ति कैसे होती है?
9) भौत्तिक और आध्यात्मिक विज्ञान, इन दोनों का अनिवार्य सम्बन्ध क्या व क्यों है?
10) ईश्वर सृष्टि की प्रत्येक क्रिया को कैसे संचालित करता है?
11) “ओम” ईश्वर का मुख्य नाम क्यों हैं? इसकी ध्वनि इस ब्रह्माण्ड में क्या भूमिका निभाती है?

ऐसे ही अनेकों प्रश्नों के उत्तर आपको इस ग्रन्थ में मिलेंगे। इस ग्रन्थ से –

1) ब्रह्माण्ड के सबसे जटिल विषय Force, Time, Space, Gravity, Graviton, Dark Energy, Dark Matter, Mass, Vacuum Energy, Mediator Particles आदि के विज्ञान को विस्तार से समझा सकेंगे।
2) ब्रह्माण्ड के वास्तविक स्वरूप को समझने के लिए एक नई Theory दे सकेंगे। Vedic Rashmi Theory में वर्तमान की सभी Theories के गुण तो होंगे परन्तु उनके दोष नहीं होंगे।
3) आज Partical Physics असहाय स्थिति में है। हम वर्तमान सभी Elementary Particles व Photons की संरचना व उत्पत्ति प्रक्रिया को समझा सकेंगे।
4) वैज्ञानिक के लिए 100 – 200 वर्षों के लिए अनुसंधान सामग्री दे सकेंगे।
5) इस ग्रन्थ से सुदूर भविष्य में एक अद्भूत भौत्तिकी का युग प्रारम्भ हो सकेगा, जिसके आधार पर विश्व के बड़े – बड़े टैक्नोलॉजिस्ट नवीन व सूक्ष्म टैक्नोलॉजी विकास कर सकेंगे।
6) प्राचीन आर्यावर्त्त में देवों, गन्धर्वों आदि के पास जिस टैक्नोलाँजी के बारे में पढ़ा व सुना जाता है, उसकी ओर वैज्ञानिक अग्रसर हो सकेंगे।
7) हम जानते हैं कि विज्ञान की विभिन्न शाखाओं यथा – रसायन विज्ञान, जीव – विज्ञान, भूगर्भ विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, आयुर्विज्ञान आदि का मूल भौत्तिक विज्ञान में ही है। इस कारण वैदिक भौत्तिकी के इस अभ्युदय से विज्ञान की अन्य शाखाओं के क्षेत्र में भी नाना अनुसंधान के क्षेत्रों में क्रान्तिकारी परिवर्तन आ सकेगा।
8) वैदिक ऋचाओं का वैज्ञानिक स्वरूप एवं इससे सृष्टि के उत्पन्न होने की प्रक्रिया ज्ञात हो सकेगी।
9) वेद विज्ञान अनुसंधान की जो परम्परा महाभारत के पश्चात् लुप्त हो गयी थी, वह इस भाष्य से पुनर्जीवित हो सकेगी।

12) इससे वेद तथा ऋषियों की विश्व में प्रतिष्ठा होकर भारत वास्तव में जगद्गुरु बन सकेगा।
13) हमारा अपना विज्ञान अपनी भाषा में ही होगा, इससे भारत बौद्धिक दासता से मुक्त होकर नये राष्ट्रीय स्वाभिमान से युक्त हो सकेगा।
14) इस कारण भारतीयों में यथार्थ देशभक्ति का उदय होकर भारतीय प्रबुद्ध युवाओं में राष्ट्रीय एकता का प्रबल भाव जगेगा।
15) यह सिद्ध हो जाएगा कि वेद ही परमपिता परमात्मा का दिया ज्ञान है तथा यही समस्त ज्ञान विज्ञान का मूल स्त्रोत है।

आशा है कि विद्वतजन इस गम्भीर ग्रन्थ का गम्भीरता से अध्ययन करेगें और अन्य ग्रन्थों पर भी इसी प्रकार अनुसंधान की ओर अग्रसर होंगे. .!!
आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक जी का बहु-प्रतीक्षित अनुसंन्धानात्मक शोध ग्रन्थ

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